ईरान के साथ स्वास्थ्य गठजोड़ बनाएगा भारत
सेहतराग टीम
भारत सरकार ने ईरान के साथ पारंपरिक औषधि प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग की सहमति दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का फैसला फरवरी महीने में ईरान के राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान हुआ था।
केंद्र सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि इस समझौते से पारंपरिक औषधि क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक धरोहर के मद्देनजर यह समझौता अत्यंत महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के क्षेत्र में भारत का पूरी दुनिया में सम्मान है जबकि औषधि आधारित चिकित्सा प्रणाली ईरान में भी बेहद समृद्ध है।
इसी के मद्देनजर बीते 17 फरवरी को ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी के भारत प्रवास के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत और ईरान के बीच कई चीजें एक समान हैं। दोनों देशों की संस्कृति और परंपराओं में बहुत हद तक समानता है तथा दोनों ही देश पारंपरिक इलाज में जड़ी- बूटियों का समान रूप से प्रयोग करते हैं। दोनों देशों में वृहद जैव- विविधता मौजूद है और पारंपरिक औषधि प्रणालियों का प्रायः इस्तेमाल किया जाता है। दोनों ही देशों में दुर्लभ औषधीय पौधे पाए जाते हैं।
ईरान, पारंपरिक औषधि प्रणाली के क्षेत्र में भारत की अग्रणी देश की स्थिति को मान्यता देता है। भारत में इस क्षेत्र में मजबूत संरचना मौजूद है और यहां उत्कृष्ट उत्पादन इकाइयां भी हैं।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय को पारंपरिक औषधि प्रणालियों के प्रोत्साहन, प्रचार और पूरे विश्व में उन्हें प्रस्तुत करने का अधिकार है। इस प्रणाली में आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शामिल हैं।
आयुष मंत्रालय ने इस दिशा में चीन, मलेशिया, त्रिनिदाद एवं टोबैगो, हंगरी, बांग्लादेश, नेपाल, मॉरिशस और मंगोलिया के साथ पारंपरिक औषधि संबंधी समझौता- ज्ञापन किए हैं। श्रीलंका के साथ भी ऐसे समझौते का प्रस्ताव है।
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